वो मेरी थी, पर ख़ूबसूरत नहीं,
वो ख़ूबसूरत है पर मेरी नहीं,
ऐसा था हमारा सफ़र के पसंद आई उसकी सादगी,
दिल छू गई उसकी नाराज़गी,
वो बातें वो मुलाक़ाते,
वो सताते हम मनाते,
उनका प्यार था तब मेरा इनकार था,
उनका इनकार था तब मेंरा प्यार था,
और जब हमारा प्यार था तब जमाना दीवार था,
लोगो की केमिस्ट्री होती है हमारी मैथ्स थी,
वो मेरी एल्फा में उसका बीटा,
में उसका पाई वो मेरी थिटा...!