जब कवि का हृदय, विह्वल होता है तो,
वह कविता करता है, वह कभी मद में चूर होकर
प्रकृति का आलिंगन करता है, फिर वह उसके मर्म को
आत्मसात करके कविता करता है,
प्रेम में प्रेयसी, हिज्र में यादें कवि सबको अपनी लेखनी से
हमेशा जीवित रखता है कवि सुख, दुःख हर परिस्थिति में,
काव्य का सृजन करता है यह कविताएं धरा पर
वैसे ही जीवित रहती हैं,
जैसे सुख, दुःख, प्रेम, प्रकृति कविता की कोई आयु तो नहीं
जो कवि के साथ पंचतत्व में विलीन हो जाएंगी,
कविता तो कवि को
अजर, अमर रखने की एक शाश्वत विधा है...