इस कश्मकश में जिए जा रहा हूँ,
क्या चाहता है और क्या किये जा रहा हूँ,
मुझे रुकना था थोड़ा ठहरना था दो पल,
मगर दौड़ है जो चले जा रहा हूँ..!
Kashmkash
By : Akshay
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Zindagi Shayari
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11th May 2020