वो जो अब मुझसे इतनी दूरियां बढ़ा रहा है,
यक़ीनन वो किसी और के करीब जा रहा है,
मै ही फ़क़त, क्या इश्क़ में डूबा हुआ था,
या वो इश्क के दरिया से निकलकर जा रहा है,
तुम बड़े आसानी से कहते हो, कि जाने दू उसे,
वो कोई रहगुज़र नहीं, मेरा मेहबूब जा रहा है,
कहना आसान है, भूलना होता तो भुला देता,
वो सिर्फ इंसान नहीं, जिस्म से जान जा रहा है,
वो जो कुछ लम्हा था, कबका गुज़र चुका है,
फिर ये यादों का सिलसिला क्यों चला जा रहा है..!