उसके आसमां का क़मर हो सकता था मैं,
उसके लिए तो मर भी सकता था मैं,
उसने इजाज़त ही नहीं दी वरना,
उसको बांहों में भर सकता था मैं,
फ़ुरसत ही ना मिली मुहब्बत से,
वरना नफ़रत भी कर सकता था मैं,
दिल मानता ही नहीं उसकी बेवफ़ाई को,
वरना उसको देखें बिना गली से गुज़र सकता था मैं..!