बहुत थोड़ा नहीं मुझको बराबर याद आता है,
मुझे बिछड़ा हुआ वो शख्स अक्सर याद आता है
ग़म जब घेर ले हमको खुशी जब रास न आए,
गुनाह तब वख्शवाने को पयंबर याद आता है,
मजबूर वक्त के हाथों, काम की तलाश करते हुए,
परदेश में रहने वालों को बहुत घर याद आता है,
ठंडी ठंडी रातें और उसके साथ चाय पीना,
मुझे जब याद आता है दिसंबर याद आता है..!