मुस्कुराहट सजी रहती है चेहरे पर, चाय पीने से,
सारे ग़म हो जाते हैं दर-बदर, चाय पीने से,
बचपन से सुनते आए हैं कि काले होते हैं,
लेकिन अपना चेहरा जाता है निखर, चाय पीने से,
यहां लोगों का जीना मरना लगा हुआ है लेकिन,
हम जैसे लोग हो जाते हैं अमर, चाय पीने से,
दूध, लस्सी, पानी, शरबत और कोल्ड ड्रिंक्स,
निकल जाती है इन सबकी कसर, चाय पीने से,
हम जब बोलें तो मुंह से बस सुर ही सुर निकलें,
आ जाता है अपने होंठो पे ये हुनर, चाय पीने से,
कभी हरी, कभी लाल, तो कभी काली, कत्थई,
हमने सीखा है पहचान-ए-कलर, चाय पीने से,
"जामी" कभी फस जाओ तुम बेचैनी के समंदर में,
तो पार हो जायेगी उलझन की लहर, चाय पीने से..!