Chai me milawat ki bharpai

मेरी चाय में मिलावट की भरपाई करनी पड़ेगी,
लगता है कि तुम्हारे साथ हाथापाई करनी पड़ेगी,

तुम पी गए सारी की सारी चाय मलाई छोड़ दी,
अब बेचारे कप की अच्छे से सफाई करनी पड़ेगी,

तुम खौलती हुई चाय ले तो आई हो मेरे लिए मगर,
पीने से पहले फूंक कर थोड़ी ठंडाई करनी पड़ेगी,

जो तेरी यादों से मेरे दिल का ये मकां चरमरा रहा है,
लगता है जैसे इस मकां की मुझे चुनवाई करनी पड़ेगी,

ज़िंदगी की उलझनों ने जो उधेड़ रखे हैं मेरे तेरे,
उन तमाम रिश्तों की अब हमें तुरपाई करनी पड़ेगी,

उसको आदत है झगड़कर लगने की सीने से मेरे,
बे वजह उससे अब फिर से लड़ाई करनी पड़ेगी,

उसको तोहफे की आस "जामी" तेरी जानिब से लगी हुई है,
लगता है फिर से अहलिया की मुंह दिखाई करनी पड़ेगी..!

By : Jami Ansari

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Chai Poetry Views - 561 15th Dec 2021

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