चाहे दूज का चांद हो या पूर्णिमा का चांद,
या चाहे फिर वो अमावस्या का चांद ही क्यों ना हो,
मुझे उसके हर रुप से प्रेम हैं!!
ऐसे ही जैसे मुझे तुम्हारे हर रुप से प्रेम हैं,
चाहें वो तुम्हारी नादानियां हो या तुम्हारी ईमानदार मुस्कुराहट,
या चाहें वो तुम्हारी नाराज़गी ही क्यों ना हो..!
Chaand
By : Hetal Rajpurohit
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Romantic Shayari
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20th Oct 2020
