उसने कहा! "आओ बैठो, गमों को अपने, मेरे आगे बिखर भी जाने दो,
अरी! उभरते हैं हालात, तो आज उन्हें उभर भी जाने दो,
साँझा कर गमों का मुझसे, घावों को अपने भर भी जाने दो,
कह दो ना जज़्बात अपने इस खामोशी को मर भी जाने दो
मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया,
"सुनो! हमें सितम खुद पर, कुछ कर भी जाने दो,
और देखो ना अब शाम हुई, छोड़ो बातों को, अब हमें घर भी जाने दो..!
Bezubaan alfaaz
By : Anshi srivastava
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Dukh Poetry
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29th May 2020