बेदार हो गये हम तेरे ख्वाब-ए-गिरां से,
जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से,
जब से बेज़ार हुआ ये दिल,
बेकार हुए हर लफ़्ज मेरे,
यूं बर्बाद हुए हम तेरे दीदार से,
दामन झटक के निकले हम तेरे गुलिस्तां से..!
बेदार हो गये हम तेरे ख्वाब-ए-गिरां से,
जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से,
जब से बेज़ार हुआ ये दिल,
बेकार हुए हर लफ़्ज मेरे,
यूं बर्बाद हुए हम तेरे दीदार से,
दामन झटक के निकले हम तेरे गुलिस्तां से..!
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