Bas itna saamya hai hum me

काफी भिन्न है एकदुसरे से ,बस इतना साम्य है हम में !

अपनी व्यस्तताओंमें वो अक्सर मग्न रहा करता,
फूर्सते बस अपने लिए निकालना मुझे बखूबी आता था। 

वो अक्सर उनमें गोते लगाने की बात करता,
मुझे किनारे पर बैठे लेहरो को जीना पसंद था। 

एकांत में भी खिलखिलाना मुझे अच्छेसे से आता था,
अक्सर शोर में वो अपनी चिखे छुपाया करता।
 

तीखे से तीखे व्यंजनो की शौकीन में,
अपनी बातों की तरह ही उसे मीठा जादा पसंद है,

 वो बरसाती बूंद को देखते हुए जीना चाहता,
मुझे बेताक भीगना पसंद है उन घनी बारिशों में।

में कुछ ठराहविक समय पर प्याला भर चाय पीना पसंद करती हूं,
वो नाजाने दिन भर में कितनी कटिंग बुलाता है।

किसी नृत्यकार की तरह उसे उद्दंड होकर दिलखोल नाचना आता है,
तो मुझे नृत्य के नाम पर बस दो बाते पता थी।

उसकी संगीत की चाह मुझे अक्सर शोर नजर आती,
अपने काम में मग्न गुनगुनाना आदत थी मेरी।

महफ़िल की जान बन वो सबके मन भाता है,
खुदका सहवास भूल कर मुझे अजनबियों में घुलना कहा आता है।

बातूनी स्वभाव नहीं पर खत्म ना होती मेरी बाते,
सही ढंग में अपने मुद्दे वो बेहतर केह देता है।

हर निर्णय पर सोच विचार मेरा पहला यही नियोजन था,
सामने पड़ी हर मुश्किल को वो ना कभी घबराता था।

हर नई ट्रेंड को आजमाना उसका एक खास शौक़ है,
कहीं इन कपड़ो में अजीब ना दिखु मुझे हर बार बस इतना खौफ है।

मुझे तजुर्बा ना था उन सारे नए रिश्तों का,
उसने दुनिया का रिवाज मुझसे बेहतर जाना था।

वो अपने खाली वक़्त में मुझे खुबसुरती से लिखता,
और अजीज समय में उसे पढ़ना मुझे बेहतर आता था !

दो बिल्कुल अलग रुचि रखने वाले लोगों में समानता बस इतनी होती है,
की उनकी पसंद बिल्कुल अलग होती है ।

हम दोनों की बात भी कुछ यूं ही तो थी।

By : Darshana...

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Mohabbat Shayari Views - 326 21st Apr 2020

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