मेरी आंखो को अश्कों से भर जाओ तुम,
कम से कम मेरा ये काम कर जाओ तुम,
अपना लहजा रखो ठंडा मेरा साथ दो,
इससे पहले कि मेरे दिल से उतर जाओ तुम,
अगर मेरे हत्थे चढ़ा तो तुम्हारी ख़ैर नहीं,
सुनो ए बुरे वक्त चुप चाप गुज़र जाओ तुम,
शाम के ढलते हुए सूरज ने ये कहा मुझसे,
ये शाम भी गुज़र गई तन्हा, चलो घर जाओ तुम,
"जामी" अब फर्क नहीं पड़ता तुम्हारी तबीयत से,
सर दुखे, पांव टूटे या चाहे मर जाओ तुम..!