गुज़र हुआ है अक्स मेरा उन तन्हा रास्तों से,
जहा कहने को तो सब "अपने" है पर
वक़्त आने पर "अपना" कोई नहीं...!
Apna koi nahi
By : Ammara Khan
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ammukhan590
Dukh Poetry
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21st Aug 2020