वो जो मनाया था तुमने मुझे पहली दफ़ा,
यू किसी और को ना मनाना,
यु दूर जा कर मत बनाना,
अपनी महोब्बत का अधुरा अफ़्साना,
कभी नहीं थे तुम मेरे,
ये कह कर रुलाता है मुझे आज ये ज़माना,
आओ कभी दिदार की तलब है मुझे,
अच्छी बात नहीं है यू हर रोज़ इतना किसी को सताना...!