कैसे बताऊँ तुम्हारी यादें कितना सताती है,
सुबह तक तो रात की भी उतर ही जाती है।
तुम्हारी आँखों से उम्र भर पीने की चाहत है,
ये रात भर वाली हिसाब, हमें नहीं भाती है।।
रातों में जब मैं आसमान की तरफ देखता हु,
तो ये मेरी उलझनें बढा़ती है,
लगता है तुम भी आसमान में ही देख रही हो,
उस चाँद में तुम्हरी झलक नज़र आती है।।
मेरे बिना एक भी पल न रहने वाली
न जाने कैसे सादियाँ बिताती है,
इस असमंजस में, मेरा दिल परेशान सा रहता है,
क्या सच में तुमको कभी मेरी याद नहीं आती है?
इस तरह मुझे तबाह करके सुना है
वो अपना वक़्त अब कही और बीताती है।
अब कोई मेरा हाल जो पूछ लेता है,
मुझे तुम्हारी बेवफाई याद आती है।
कैसे बताये इश्क़ में कितना तन्हा हुए है,
इतना जान लो ये इश्क का दरिया है, ये बस डुबाती है।
उन् बीते पलो का क्या सौदा करूँ मैं,
ये कभी रुलाती तो कभी हसाँती है,
मै इस वजह से भी भूलना नहीं चाहता तुम्हे,
वो पल ही तो थे जो अब तुम्हारी याद दिलाती है।
तुम्हारे न होने का आलम क्या बताऊं मै
तुम्हारी एक तस्वीर है जो मुझे सुलाती है,
चलो किस्मत पे अब छोड़ देता हूँ सब
देखता हु ये अब हमें कहा मिलाती है।
कैसे बताऊँ तुम्हारी यादें कितना सताती है,
सुबह तक तो रात की भी, उतर ही जाती है।
तुम्हारी आँखों से उम्र भर पीने की चाहत है,
ये रात भर वाली हिसाब, हमें नहीं भाती है..!