कहते है आँखे दिल का आईना होती है,
जो अल्फाज़ जुबा नहीं कहती ये आँखे बोल देती है,
दिल कितना भी छुपा ले ये दर्दे मुहब्बत,
ये आँखे उसको अपने अश्कों से बहा देती है,
ये आँखे ही तो है जो छुप छुपकर,
उसके दीदार को तरसा करती है,
ज़ब मिलता नहीं है इनको कोई सुकून,
तो ये अक्सर उठ उठकर रातो से बाते किया करती है,
ये आँखे ही तो है जो तेरे सपनो को इनमे सजाये रहती है,
करती है ये मेरे ख्यालों में तुझसे ही बाते सदा,
नजाने ये तुझसे ही क्यों छुपाती हूँ अपना इजहारे मुहब्बत,
अपने दिल में उठे हर तूफान को क्यों में दबती हूँ..!