Aankhe samvaad karti hain

मोहब्बत मेरी जब दूर होती है, वह बेहद याद करती है,
मिलती है जब सरे राह, फिर आँखें संवाद करती है,

हवा इश्क की उसकी, मुझमें सर सर सरती है,
रस भरी बातों की मिठास, उसके लबों से निकलती है,

रूप सौंदर्य देखो उनका, कुमुद में चाँदनी चमकती है,
कारोबार उसका कुछ ऐसा, जैसे निर्मल गंगा बहती है,

मोहिनी छवि चंचल चित्त, खुद में उलझती रहती है,
खुशबू उसकी हर घड़ी, मुझमें महकती रहती है,

छिड़को ना मुझको खुद पर, बार-बार मुझसे कहती है,
शीशी में इत्र सी है वह, मेरे लिबास में हरदम रहती है...

By : Satish Nautiyal

Hindi Poetry Views - 253 21st Mar 2020

Share Poetry on social media

Message


About Us
Bepanaah.in is a feeling that is very attached to our life. Like unbridled joy, unbridled pain, unbridled love. this website important for those pepole who love to write, who express own feelings. We update our website periodically with fresh shayari thats why you find unique and latest sher o shayari on Bepanaah.in
Follow Us
Facebook Likes

© Copyright 2020-24 bepanaah.in All Rights Reserved