आज मेरे पास कहने को शब्द नहीं हैं।
हृदय व्यथित है लेकिन निस्तब्ध नहीं है॥
अंतरंग में मेघ हैं किंतु नाद नहीं है।
करुणा की गंगा है परंतु गाद नहीं है॥
कदम चलना तो चाहते हैं पर बाट नहीं है।
कहने को सबकुछ है बस ठाठबाट नहीं हैं॥
जीने को जीवन तो है जिंदगी नहीं है।
प्रेम अथाह है किंतु बंदगी नहीं है॥