"बेपनाह" मुहब्बत लोगों में बांट कर तो देखिए,
अपनी ज़िन्दगी में फिर इसका अंजाम तो देखिए,
लम्हा - लम्हा हो जाएगा आपको सुकूं हासिल,
गैर के गम में कभी आंसू बहाकर तो देखिए,
मिल जाएगी आपको सच्ची खुशी भी एक दिन,
औरों की ख़ुशी को गले लगाकर तो देखिए,
हो जाएगा तुम्हारे दिल से बोझ कम,
तन्हाई में रब के आगे गिड़गिड़ा कर तो देखिए,
हट जाएगी नफरतों की धुंध रिश्तों से,
अपने दिलों से बदगुमानियां मिटाकर तो देखिए,
हो जाएगी तुम्हे भी एक दूसरे से उल्फत,
पिछले सारे गिले - शिकवे भुला कर तो देखिए,
हो सकता है , मैं इंकार ना कर सकूं,
मुझको शाम की "चाय" पर बुलाकर तो देखिए,
मुमकिन है, फिर उसकी याद ना आए,
तमाम खत उसके जलाकर तो देखिए,
हो जाएगी दुनिया तलबगार तुम्हारी, "रुशदा",
अपने किरदार की खुशबू फैलाकर तो देखिए..!