Paisa Insaan ko Upar leke Jaa sakta hai.
par Insaan Paisa Upar leke nahi Jaa sakta...
0
Total Poet
0
Total Poetry
0
Ghazals
0
Subscribers
Total Poet
Total Poetry
Ghazals
Subscribers
Paisa Insaan ko Upar leke Jaa sakta hai.
par Insaan Paisa Upar leke nahi Jaa sakta...
Juth hi sahi lekin dosto ne bola tha.
Jab raaz khula to muje hi doshi thehraya tha!!
सवालों का सैलाब था उठता दिल में उस रोज़,
कुछ हसीन यादें भी थी साथ,
एक लम्बे अरसे बाद तय हुई थी वो मुलाकात।
सोचा था फुर्सत के कुछ पल बिताएंगे हम साथ,
कुछ अपने, कुछ तुम्हारे गमों का कर लेंगे हिसाब,
हसतीं, मुस्कुराती इंतज़ार में गुम थी मैं,
क्योंकि मुदत्तों बाद तय हुई थी वो मुलाकात।
कदमों की आहट को सुन, सुकुन मिला था,
क्योंकि इंतज़ार अब खत्म हुआ था,
कितनी नादान थी मैं कि ये भी ना समझी,
ये मुलाकात तो तय ही हुई थी ताउम्र के इंतज़ार के लिए।।
एक रूहानी शाम का इंतज़ार आज भी है,
किसी अजनबी हमसफ़र की तलाश आज भी है।
माना की वक्त बदल गया है,
पर शायद तुम्हारे लौटने का इंतज़ार आज भी है।।
Aaj fir mene bina dekhe teri tasveer banai hai.
Dekh mujse milane meri tanhai aayi hai!!
© Copyright 2020-24 bepanaah.in All Rights Reserved