Jhagde paale hue hain

दरिया-ओ-समंदर ने कई कतरे पाले हुए हैं,
पंछियों ने भी यहां कई पिंजरे पाले हुए हैं,

जो एक साल गुज़रा उसके दरमियान हमने,
बातों के साथ साथ कई झगड़े पाले हुए हैं,

पेश आता है मोहब्बत से, नफरत भी करता है,
यहां हर एक शख्स ने कई लहजे पाले हुए है,

गुज़र जाती है सुबह शाम तुम्हे सुनाते हुए,
मैने भी बचपन के कई किस्से पाले हुए हैं,

बहाने खूब बना रखे हैं मैने तुम्हे बुलाने के,
तुमने भी न आने के कई हीले पाले हुए हैं,

तू बे-गैरत कि तुझसे एक मां नहीं संभाली जाती,
और एक मां ने तेरे जैसे कई बच्चे पाले हुए हैं,

मुझे इस बात पे फखर है कि "जामी" आज तक,
ग़लत फहमी नहीं पाली कई कुत्ते पाले हुए हैं..!

By : Jami Ansari

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Zindagi Shayari Views - 412 22nd Jan 2021

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